Tuesday, July 8, 2008

कुछ दूर हमारे साथ चलो हम दिल की कहानी कह देंग़े....

क़ुछ दूर हमारे साथ चलो हम दिल की कहानी कह देंग़े,
समझे ना जिसे तुम आंखो से वो बात ज़ुबानी कह देंग़े,

फूलो की तरह जब होठो पर इक शोक तबसुम बिखरेगा,
धीरे से तुम्हारे कानो मे इक बात पुरानी कह देंगे,

इज़्हार-ए-वफा तुम क्या समझो इक़रार-ए-वफा तुम क्या जानो,
हम ज़िक्र करेंगे गैरो का और अपनी कहानी कह देंग़े,

मौसम तो बढा ही ज़ालिम है तूफान उठता रहता है,
कुछ लोग मगर इस हलचल को बदमस्त जवानी कह देंग़े,

समझे ना जिसे तुम आंख से वो बात ज़ुबानी कह देंग़े,
कुछ दूर हमारे साथ चलो हम दिल की कहानी कह देंग़े....